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Mar 27, 2021

जीवन में भर दो होली की उमंगों का उल्लास (कोरोना संकट परिप्रेक्ष्य में)

जीवन में भर दो होली की उमंगों का उल्लास 
(कोरोना संकट परिप्रेक्ष्य में) 

(डॉ भावना शर्मा कहिन) 
कोरोना संकट के जाने का उद्घोष अभी हुआ नही और ये दुसरी होली भी आ गई। मनुष्य मुस्कराना तो वैसे भी भूल गया था अब उसके चेहरे के हाव भाव भी मास्क मे परिसीमित हो गए।  होली’ जो उद्घोष करती थी नई शुरुआत , नए सृजन का, नूतन माधुर्य के रंग का , पर इन रंगो 
मे अवसाद की एक छाया से पडती दिखाई दे रही है। एक समय था जब होली जो श्रेष्ठता या अश्रेष्ठता से परे होती थी प्रेम रंग में स्वयं को एकाकार कर लेती थी, मनुष्य के जीवन उमंगों से भर देती वह मन बासंती होली जाने कहाँ खो गई। आखिर यह दौर आत्मावलोकन की और क्यो मजबूर कर रहा है। 
आज एक तरफ प्रकृति के कण-कण में, कोने-कोने में इन दिनों सुंदर फूल खिल रहे हैं पर मनुष्य का मन यंत्र चालित सा खिलना बंद हो गया है। परमात्मा जो प्रकृति के माध्यम से अपने प्रेम को पृथ्वी पर प्रसन्नता के रूप में फूलों के रूप में बिखेरकर मनुष्य को प्रेरणा देता है कि तुम अपने गमों को भूलकर, एक नई उमंग और एक नया उल्लास लेकर जीवन को संवारो। जो हो गया सो हो गया, जो बीत गया वो बीत गया, जो हो ली सो होली। अब नई जिंदगी शुरू होगी, नया पर्व शुरू होगा, आखिर हम यंत्रचालित से क्यो संवेदनहीन हो गए। 
आज सालभर का भयावह दौर हमे उस मुकाम पर ले आया कि हम हंसना चाहते हैं पर सामने वाला हंसने को तैयार नहीं। पता नहीं कैसी आत्म मुग्धा सी स्थिति है या किसी भयावह ठहराव की। 
जानें क्यो मोबाइल पर सिमट गई जिंदगी और दुनिया से भी बतियाने से कतराने लगे हैं और बाहर लीपापोती कर के मुस्कराने वाले चेहरे के अंदर के रंग बेरंग आने लगे हैं। 
आज हमे समझना होगा कि जीवन का सबसे सुंदर रंग प्रेम है ये ऐसा रंग है जिसमें हर कोई रंगना चाहता है इसमें जीना चाहता है। जिस घर में प्रेम नहीं है, श्रद्धा नहीं है, विश्वास नहीं है तो फिर वह घर खुशियां नहीं देता। आस एक विश्वास की  और यहीं आस नेह के धागे को बांधे हुए है। यदि विश्वास टूट गया तो नेह का धागा भी टूट गया। 
होली आपस के विश्वास के रंग ही तो प्रखर करने आती है, हर रिश्ते में रंग भर जाती है अब इस रंग को और बदरंग मत होने दो। अपने विश्वास को कम मत होने दो। अब कोशिश करो सब से बतलाने की और सबमें विश्वास भरने की। आज इस समय आपका धन कम हो जाए तो चिंता मत करो पर बस प्रेम के बंधन को कमजोर मत होने दो। यदि आप सफल हुए कोई बात नहीं पर रिश्तों को निभा गए तो निश्चित रूप से आप सफल हैं क्योंकि यह त्याग आपके भविष्य की मानवीय पूंजी है। आज जो भयावह दौर है वहाँ हर मनुष्य एक विशेष अकेलेपन का शिकार है इसलिए अगर कोई आपसे कुछ कहना चाहते हैं तो ठहर कर एक बार उसकी बात सुन लीजिए, अगर कोई अपनी बातें सांझा करना चाहता है तो दर्द बांट लीजिए, हो सकता है कोई आपके हित की ही बात हो। हर कोई व्यक्ति लेने ही आए क्या पता किसी रूप में भगवान ही बतियाने चले आए, मन के दरवाजे खुले रखिए। जीवन में संपत्ति का ही दान नही होता, वक्त का दान भी दान होता है कभी किसी नाउम्मीद वाले व्यक्ति के लिए समय निकाल लीजिए और उसे जीवन की दिशा बता दीजिए या किसी का आत्मविश्वास बन जाए और फिर देखे होली के रंगो का उजास। बिखेर दीजिए मनुष्यता के रंग और जीवन में उमंग महसूस कीजिए क्योंकि हर धन खत्म हो सकता है पर किसी के मन को दिया हुआ संतोष सतरंगी होता है जो निरंतर प्रखर होता है, शाश्वत होता है। 
आज अपने हितों की आहुति देकर अगर आपने मानव प्रेम को बचा लिया तो आपने भविष्य का अपना आत्मबल बचा लिया क्योंकि सामाजिक पारिवारिक रिश्तों में कभी न कभी वह लौट कर आएगा नेह का रंग बनकर जो कभी खत्म नहीं होगा, रहेगा हमेशा शाश्वत बनकर। केवल अहं का सृजन ही सब विलुप्त कर देता है और स्याह रंग छोड़ देता है नेपथ्य मे पर नेह का रंग कभी नहीं छुटता, वह गहराता है हर सांस के साथ, हर विश्वास के साथ। आप मनुष्य है तो मानव भाव जिंदा रखिये और सभी के प्रति प्रेममय रहिए और आपका मनुष्य के प्रति प्रेम निर्मल है तो मानवीयता का रंग आपसे जुड़े सभी लोगों के जीवन में उत्सव का रंग लाएगा ।  प्रेम का रंग, शांति का रंग और कृष्ण रंग जिस पर कोई रंग चढे ही नहीं वे सब रंग मिलकर इंद्रधनुष बन जाए और आप जिसके प्रति भी समर्पित हो तो फिर ऐसे हो जाओ दुनिया इधर से उधर हो जाए पर अपने आपको बदलना नहीं, अटल रहना है दृढ़ रहना है तो समझना तुम उस परमात्मा के प्रेम में रंग गए जिसके लिए तुमने इस देह को धारण किया है और आपके जीवन में उमंगों का रंग शाश्वत है।