चूरू, 20 फरवरी। राज्य सरकार की ओर से सुजानगढ़ शहर से गुजर रही सीकर-नोखा सड़क (राज्य राजमार्ग सं. 20) पर रेल्वे ओवर ब्रिज की स्वीकृति जारी की गई है। 65 करोड़ की लागत से सुजानगढ़-छापर सड़क पर बनने वाले इस आरओबी से दिन में काफी समय बंद रहने वाले फाटक से वाहन चालकों को होने वाली परेशानियों से निजात मिलेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को वीसी के जरिये इस आरओबी का शिलान्यास किया, जिसमें प्रभारी मंत्री सहित जिले और सुजानगढ़ के जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की।
उल्लेखनीय है कि सरकार की ओर से आरओबी के लिए 65 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। सीकर-नोखा स्टेट हाईवे स्थित छापर रेलवे फाटक पर इस ओवरब्रिज के बनने से लोगों को काफी सुविधा होगी। फाटक बंद रहने के कारण होने वाली समस्या को देखते हुए क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस आरओबी के निर्माण के लिए मांग कर रहे थे। राज्य सरकार ने लोगों की समस्या को देखते हुए आरओबी निर्माण की स्वीकृति दी है। पीडब्ल्यूडी एईएन मोहित पाराशर ने बताया कि यह आरओबी फतेहपुर-पालनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 58 से किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाईवे की ओर जाने वाले के यातायात की दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण है। सुजानगढ़ एवं बीदासर खनन क्षेत्र होने के कारण इस रेल्वे फाटक पर बड़े ट्रकों की काफी आवाजाही रहती है। इसके साथ ही वर्ष 2025 तक सुजानगढ़ से होकर जाने वाला दिल्ली—जोधपुर रेल्वे ट्रैक डबल होने वाला है, जिससे ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी निश्चित है। राज्य सरकार ने दूरदर्शिता दिखाते हुए भविष्य में होने वाली यातायात अव्यवस्था के निराकरण का ध्यान रखते हुए आरओबी की स्वीकृति जारी की है। इससे बीदासर की तरफ से आने वाले वाहनों को बड़ी राहत मिलेगी। छापर, सालासर, सीकर का ये रास्ता सुविधाजनक होगा। इसके अलावा रोज हजारों की संख्या में हाईवे पर और फाटक से सभी प्रकार के छोटे व बड़े लोकल वाहन गुजरते हैं। फाटक के दूसरी तरफ घनी बस्ती भी है। ऐसे में फाटक को दिन और रात में काफी समय बंद रखना पड़ता है, जिससे लोगों का पूरा समय खराब होता है व आर्थिक नुकसान भी होता है। आरओबी बनने से इस समस्या से भी निजात मिलेगी।
इसके अलावा रेल फाटक और इस सेक्शन पर अनेक यात्री गाड़ी व माल गाड़ी गुजरती हैं। इस कारण 24 घंटे में औसतन तीन से चार घंटे फाटक बंद रहता है। सुजानगढ़ शहर में रेल्वे लाइन के दूसरी ओर वाले बड़ी आबादी वाले हिस्से में जाने के लिए पांच फाटक हैं, जो एक साथ बंद होते हैं और बस स्टैंड से लाडनूं, अजमेर की ओर जाने वाली मुख्य सड़क एकदम फाटकों के नजदीक होने से इस सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। वाहनों व दूसरी तरफ रहने वाले वाशिंदों का समय बहुत खराब होता है। वाहनों को घंटों रेल फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता है। मेडिकल व अन्य इमर्जेन्सी के समय इस रेल फाटक का लम्बे समय तक खुलने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में आरओबी बनने से लोगों की इन समस्याओं का समाधान होगा। इसके साथ ही पश्चिम क्षेत्र के गांवों सारोठिया, जीली, गोपालपुरा का यातायात भी घनी आबादी क्षेत्र में जाने की बजाय इस आरओबी का प्रयोग कर सकेगा।
यह ओवरब्रिज करीब एक किलोमीटर लंबा होगा। इसमें खर्च होने वाले 65 करोड़ रुपए में से 45 करोड़ राज्य सरकार व 20 करोड़ रेल्वे खर्च करेगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता व अतिरिक्त सचिव की ओर से प्रशासनिक व वित्तीय स्टेट रोड फंड में स्वीकृति जारी कर दी गई है। काम के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ओवरब्रिज के लिए पहले सर्वे कर डीपीआर बनाने के टेंडर होंगे। बाद में डीपीआर के अनुसार आरओबी निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया होगी। उसके बाद वर्क आर्डर जारी कर काम शुरू किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक काम शुरू होने के बाद करीब डेढ़ से दो साल में ओवरब्रिज तैयार हो जाएगा और इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार की ओर से आरओबी के लिए 65 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। सीकर-नोखा स्टेट हाईवे स्थित छापर रेलवे फाटक पर इस ओवरब्रिज के बनने से लोगों को काफी सुविधा होगी। फाटक बंद रहने के कारण होने वाली समस्या को देखते हुए क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस आरओबी के निर्माण के लिए मांग कर रहे थे। राज्य सरकार ने लोगों की समस्या को देखते हुए आरओबी निर्माण की स्वीकृति दी है। पीडब्ल्यूडी एईएन मोहित पाराशर ने बताया कि यह आरओबी फतेहपुर-पालनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 58 से किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाईवे की ओर जाने वाले के यातायात की दृष्टि बहुत महत्त्वपूर्ण है। सुजानगढ़ एवं बीदासर खनन क्षेत्र होने के कारण इस रेल्वे फाटक पर बड़े ट्रकों की काफी आवाजाही रहती है। इसके साथ ही वर्ष 2025 तक सुजानगढ़ से होकर जाने वाला दिल्ली—जोधपुर रेल्वे ट्रैक डबल होने वाला है, जिससे ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी निश्चित है। राज्य सरकार ने दूरदर्शिता दिखाते हुए भविष्य में होने वाली यातायात अव्यवस्था के निराकरण का ध्यान रखते हुए आरओबी की स्वीकृति जारी की है। इससे बीदासर की तरफ से आने वाले वाहनों को बड़ी राहत मिलेगी। छापर, सालासर, सीकर का ये रास्ता सुविधाजनक होगा। इसके अलावा रोज हजारों की संख्या में हाईवे पर और फाटक से सभी प्रकार के छोटे व बड़े लोकल वाहन गुजरते हैं। फाटक के दूसरी तरफ घनी बस्ती भी है। ऐसे में फाटक को दिन और रात में काफी समय बंद रखना पड़ता है, जिससे लोगों का पूरा समय खराब होता है व आर्थिक नुकसान भी होता है। आरओबी बनने से इस समस्या से भी निजात मिलेगी।
इसके अलावा रेल फाटक और इस सेक्शन पर अनेक यात्री गाड़ी व माल गाड़ी गुजरती हैं। इस कारण 24 घंटे में औसतन तीन से चार घंटे फाटक बंद रहता है। सुजानगढ़ शहर में रेल्वे लाइन के दूसरी ओर वाले बड़ी आबादी वाले हिस्से में जाने के लिए पांच फाटक हैं, जो एक साथ बंद होते हैं और बस स्टैंड से लाडनूं, अजमेर की ओर जाने वाली मुख्य सड़क एकदम फाटकों के नजदीक होने से इस सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। वाहनों व दूसरी तरफ रहने वाले वाशिंदों का समय बहुत खराब होता है। वाहनों को घंटों रेल फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता है। मेडिकल व अन्य इमर्जेन्सी के समय इस रेल फाटक का लम्बे समय तक खुलने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में आरओबी बनने से लोगों की इन समस्याओं का समाधान होगा। इसके साथ ही पश्चिम क्षेत्र के गांवों सारोठिया, जीली, गोपालपुरा का यातायात भी घनी आबादी क्षेत्र में जाने की बजाय इस आरओबी का प्रयोग कर सकेगा।
यह ओवरब्रिज करीब एक किलोमीटर लंबा होगा। इसमें खर्च होने वाले 65 करोड़ रुपए में से 45 करोड़ राज्य सरकार व 20 करोड़ रेल्वे खर्च करेगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता व अतिरिक्त सचिव की ओर से प्रशासनिक व वित्तीय स्टेट रोड फंड में स्वीकृति जारी कर दी गई है। काम के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ओवरब्रिज के लिए पहले सर्वे कर डीपीआर बनाने के टेंडर होंगे। बाद में डीपीआर के अनुसार आरओबी निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया होगी। उसके बाद वर्क आर्डर जारी कर काम शुरू किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक काम शुरू होने के बाद करीब डेढ़ से दो साल में ओवरब्रिज तैयार हो जाएगा और इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा।