मैं ही नहीं, पूरी इंडिया टीम अब तक का बेहतरीन करेगी : देवेंद्र झाझड़िया

मैं ही नहीं, पूरी इंडिया टीम अब तक का बेहतरीन करेगी : देवेंद्र झाझड़िया

देश के लिए एथेंस 2004 और रियो 2016 में दो पैरा ओलंपिक गोल्ड जीते चुके खेल रत्न अवार्डी चूरू के देवेंद्र झाझड़िया ने ट्रायल में अपना ही वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़कर तीसरे पैरा ओलंपिक के लिए हाल ही में क्वालीफाई किया है। उनकी अब तक की परफोरमेंस को देखकर निश्चय ही आश्वस्त हुआ जा सकता है कि अगले महीने टोक्यो पैरा ओलंपिक में अपनी तरफ से तीसरा स्वर्ण पदक भी देवेंद्र देश की झोली में डाल चुके होंगे। आठ-दस साल की उम्र में दुर्घटना में हाथ कटने के बाद एक छोटी-सी ढाणी और सामान्य ग्रामीण पृष्ठभूमि से लेकर यहां तक के सफर और उनके जीवन और कैरियर से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर हमने उनसे बात की। उनका मानना है कि न केवल वे खुद, अपितु देश की पूरी ओलंपिक व पैरा ओलंपिक टीम अब तक का बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। पेश है सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय से हुई देवेंद्र झाझड़िया की बातचीत के अंश : 

 

एक छोटी सी ढाणी से तीसरे ओलंपिक गोल्ड की ओर सफर, कैसे देखते हैं इसे?

 

छोटी से ढाणी से निकलकर तीसरे ओलंपिक तक का सफर देखता हूं तो बहुत फक्र होता है इस बात का। पीछे मुड़कर देखता हूं,  सोचता हूं तो वो संघर्ष याद आता है, जब मेरे पास ग्राउंड भी नहीं था, भाला भी नहीं था।  लकड़ी का एक भाला अपने स्तर पर तैयार करके शुरुआत की थी। संघर्ष लंबा रहा। मेरे खयाल से तीसरे ओलंपिक में खेल रहे जो खिलाड़ी हैं, उनमें मेरा संघर्ष कहीं ज्यादा है। लेकिन अच्छा लगता है संघर्ष करके इतनी ऊंचाई पर पहुंचना, बिना फैसिलिटी के शुरू हुए सफर में यह खूबसूरत मंजिलें। युवा इससे प्रेरणा ले सकते हैं कि संसाधन अंतिम सत्य नहीं हैं। आप जुनून के साथ मेहनत करते हैं तो चीजें अपने आप होती चली जाती हैं।

 

देवेंद्र झाझड़िया एक स्पोर्ट्स स्टार नहीं होता तो क्या होता ?

 

पहला प्यार खेल ही रहा तो कोई सैकंड थोट मन पर हावी न हुई। फिर भी आपने सवाल किया है तो याद करता हूं कि बी.ए. में मैंने इकॉनॉमिक्स लिया था। यह मेरा प्रिय विषय है। तो कभी-कभी सोचता था कि इकॉनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेज्युएशन करके पीएचडी करूंगा और इकॉनॉमिक्स पढाऊंगा।

 

40 साल का देवेंद्र 20 साल के युवा देवेंद्र से ज्यादा जेवलिन थ्रो करता है, इस ऊर्जा का राज?

 

बेशक यह बात मुझे भी बहुत खुशी देती है। राज बस यही है कि हमेशा पॉजिटिव रहता हूं। सीखने की कोशिश करता हूं। उम्र कितनी भी हो, कितने भी मेडल हों, कितने भी रिकॉर्ड तोड़े हों, जब भी एक मेडल लेकर आता हूं तो आकर सोचता हूं कि वह कौनसा बिंदू है, जहां और काम करने की जरूरत है। नई चीजों, तकनीक को समझने का प्रयास करता हूं। और कभी खुद को महसूस नहीं होने देता कि चालीस का हो गया हूं। उम्र बस एक आंकड़ा है। फिर आपका एक्सपीरिएंस भी काम करता है। एनर्जी उन शुभचिंतकों से भी मिलती है जो मेरे हर मेडल पर वाहवाही करते  हैं, मेरा हौसला बढाते हैं।

 

इस बड़े हासिल के बीच ऎसा क्या है जो इस स्टारडम में खो गया, जिसे बहुत मिस करते हैं?

वास्तव में जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ दिया है, मेरी उम्मीदों से भी बहुत ज्यादा। फिर भी एक टीस रहती है कि यदि 2008 और 2012 के पैरा ओलंपिक में जेवलिन थ्रो गेम होता तो मुझे दूसरे पैरा ओलंपिक गोल्ड के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता और आज मैं पांचवें पैरा ओलंपिक पदक की ओर देख रहा होता। दूसरी जो बात मैं बहुत मिस करता हूं, वो यह है कि 19 साल से इंडिया टीम में हूं तो एक होस्टल लाइफ जी रहा हूं। परिवार के साथ कभी ठीक से समय नहीं बीता पाया। मम्मी, पापा, बेटी, बेटा, पत्नी को जितना समय देना था, नहीं दे पाया। बहुत सारे अवसरों पर उनके बीच नहीं पहुंच पाता। पार्टियां, शादियां एंज्वॉय नहीं कर पाता। हालांकि परिवार सपोर्ट करता है। दो बड़े भाई हैं जो ज्यादातर सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते हैं। बच्चों को भी वाइफ ही देखती हैं। वाइफ मंजू खुद नेशनल प्लेयर रही हैं, वो जानती हैं कि एक स्पोर्ट्स पर्सन को किस तरह से काम करना होता है। पिछले दिनों पिता के निधन के बाद लोकाचार के बारह दिन ही बीते थे कि मां ने कह दिया, बेटा तू जा ट्रेनिंग कर। बेटी भी अब समझती है। बेटा जरूर जिद कर लेता है कि पापा आप कल ही आ जाओ। पर जब आप किसी बड़े मिशन पर हों तो इन चीजों के साथ कहीं न कहीं समझौता करना ही होता है।

 

टोक्यो में अपने प्रदर्शन के बारे में क्या सोचते हैं?

 

इस ओलंपिक में जैसे मेरी ट्रेनिंग चल रही है, बेशक एक बेहतरीन परिणाम आएगा। मेरा वजन 86 किलो था, उसे सात-आठ किलो कम किया है। ट्रायल में पौने दो मीटर से रिकॉर्ड ब्रेक किया है। फिटनेस लेवल रियो से बहुत आगे हैं। उम्मीद है कि 67 से 69 मीटर थ्रो कर पाऊंगा। मेरे कोच सुनील तंवर साब का भी यही कहना है कि इतना तो कर ही देंगे। तो मैं अपनी परफोरमेंस को लेकर बहुत आश्वस्त हूं।

 

आप कहते हैं कि यह अब तक की बेस्ट टीम है और शानदार रिजल्ट रहेगा, इस आत्मविश्वास का कारण?

ओलंपिक और पैरा ओलंपिक में हमारा अब तक का सबसे बड़ा दल जा रहा है। परफोर्मेंस के हिसाब से देखें और पिछले दो-तीन साल का हिसाब निकालें तो साफ दिखता है कि यह टोक्यो हमारे लिए अब तक का सबसे शानदार आयोजन होगा। हमारे बॉक्सर, वेट लिफ्टर,  कुश्ती के खिलाड़ी, वर्ल्ड में एक, दो, तीन नंबर रैंकिंग में चल रहे हैं। बैडमिंटन, शूटिंग में भी उम्मीदें हैं। हमारे खिलाड़ियों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में काफी अच्छा किया है। मैं पूरे आत्मविश्वास से दोहरा सकता हूं कि ओलंपिक और पैरा ओलंपिक, दोनों में ही अब तक का शानदार प्रदर्शन रहेगा।

 

तीसरे पैरा-ओलंपिक गोल्ड के बाद, आपकी भविष्य की प्लानिंग?

 

फिलहाल, मेरा ध्यान केवल ओलंपिक में अपने प्रदर्शन पर है। गोल्ड तो है ही निशाने पर, सोचता हूं परफोरमेंस भी जितनी बेहतर हो, उतनी कर पाऊं। उसके बाद की अभी कोई प्लानिंग नहीं। इतना जरूर है कि एक-दो महीने परिवार को समय दूंगा। बातें करूंगा, घूमूंगा, फुरसत से उनके साथ जीऊंगा। बाकी, फिलहाल ओलंपिक पर ही फोकस है।

 

और वो, जो आप कहना चाहते हैं?

मैं खासकर युवाओं से कहना चाहता हूं कि जिस भी फील्ड में जाएं, एक जुनून के साथ जाएं। स्पोर्ट्स में जाएं या पढाई में, देश की सेवा के लिए जो भी साइड चुनें, उसके लिए एक जुनून होना चाहिए। इसके साथ थोड़ा सा धैर्य भी जरूरी है। जरूरी नहीं कि रिजल्ट आपकी सोच के अनुसार जल्दी आ जाए। हां, अनुशासन में रहकर मेहनत करेगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। खुद पर विश्वास रखें, एक दिन सफलता आपके कदमों में होगी।

सामूहिक विवाह पर अब मिलेगा 18 हजार रुपए अनुदान

 
मुख्यमंत्राी सामूहिक विवाह एवं अनुदान योजना 2021 में आॅनलाइन करना होगा आवेदन


चूरू, 17 जुलाई। बाल विवाह को रोकने एवं सामूहिक विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में शुरू की गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह एवं अनुदान योजना में अब सरकार 18 हजार रुपए अनुदान देगी। इसमें से 15 हजार रुपए नव विवाहित वधू एवं 3 हजार रुपए सामूहिक विवाह आयोजक संस्था को दिए जाएंगे।
 
जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा ने योजना की जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि सामूहिक विवाह योजना में लाभान्वित होने के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। वर या वधू में से कोई एक राजस्थान राज्य का मूल निवासी हो। अनुदान के लिए वे ही विवाह मान्य होंगे, जिनका नियमानुसार विवाह पंजीयन करा लिया गया हो। महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत महिला अधिकारिता निदेशालय योजना के लिए क्रियान्वयन एजेंसी होगा। योजना अंतर्गत सामूहिक विवाह का तात्पर्य एक ही स्थान पर एक ही समय में कम से कम 10 तथा अधिकतम 500 जोड़ों का विवाह करने से है।


पंद्रह दिन पहले करना होगा आवेदन
संस्था को सामूहिक विवाह आयोजन अनुमति के लिए विवाह की तिथि से न्यूनतम पंद्रह दिन पहले आॅनलाइन आवेदन करना होगा। इसके साथ वांछित दस्तावेज जैसे वर-वधू के आयु प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, बैंक खातों का विवरण आदि संलग्न करना होगा। संस्था द्वारा सामूहिक विवाह आयोजन की अनुमति के लिए आॅनलाइन आवेदन में विवाह के जोड़ों की संख्या में आवेदन की तिथि से सात दिन पहले तक परिवर्तन किया जा सकेगा। विवाह के समय उपस्थित अधिकारी द्वारा विवाह के समय उपस्थित सक्षम अधिकारी के प्रतिनिधि की रिपोर्ट के आधार पर वधू के खाते में आईएफएमएस के माध्यम से दस हजार रुपए की राशि का हस्तांतरण किया जाएगा। वधू के खाते में इस राशि के हस्तांतरण के बाद संस्था को देय 3 हजार रुपए का हस्तांतरण किया जाएगा।

60 दिन बाद भी पंजीयन नहीं कराने पर निरस्त होगा प्रकरण
विवाह के बाद 60 दिन की अवधि में विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र व अन्य बकाया दस्तावेज आॅनलाइन प्रस्तुत करने पर आईएफएमएस के माध्यम से 5 हजार रुपए का हस्तांतरण वधू के खाते में किया जाएगा। संस्थाओं द्वारा 60 दिवस तक विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर प्रकरण निरस्त माना जाएगा हालांकि प्रथम किश्त की दी जा चुकी राशि की वसूली नहीं की जाएगी। किसी संस्था को सामूहिक विवाह के लिए एक वित्तीय वर्ष में 15 लाख रुपए से अधिक अनुदान नहीं दिया जाएगा। किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर जिला कलक्टर के स्तर पर निपटाया जाएगा। योजना में लाभ प्राप्त करने के लिए किसी अन्य विभाग की समान योजना में देय लाभ बाधक नहीं होगा। इस योजना के लागू होने के बाद राजस्थान सामूहिक विवाह एवं अनुदान योजना, 2018 एवं उसके अनुसरण में समय-समय पर पूर्व में जारी आदेश-निर्देश स्वतः ही निष्प्रभावी माने जाएंगे।

**पीरु सिंह सर्किल पर मास्क, सैनिटाइजर एवं तुलसा लगे हुए गमले वितरण किए जावेगें**

झुंझुनूं । लायन्स क्लब झुंझुनूं द्वारा 18 जुलाई रविवार प्रात:10 बजे पीरु सिंह सर्किल पर हर घर में तुलसी का वासा, रहे सदा नरहरि के पासा, इसी भावना को आत्मसात करते हुए श्री श्याम आशिर्वाद सेवा संस्था के सौजन्य से मास्क, सैनिटाइजर एवं तुलसा लगे हुए गमले वितरण किए जावेगें।
जानकारी देते हुए लायन्स क्लब झुंझुनूं के अध्यक्ष लॉयन भागीरथ प्रसाद जांगिड़ एवं सचिव लॉयन शिवकुमार जांगिड़ ने बताया कि 18 जुलाई रविवार प्रात:10 बजे कोरोना संक्रमण के मध्यनजर सरकारी आदेशों की पालना करते हुए सोशल डिस्टेंसिग के साथ कार्यक्रम संयोजक लॉयन शकुन्तला पुरोहित के संयोजक्त्व में उक्त कार्यक्रम का आयोजन होगा।
**शहीद हवलदार मेजर पीरू सिंह को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देंगे 18 जुलाई को**

झुंझुनूं  लायन्स क्लब झुंझुनूं द्वारा 18 जुलाई रविवार प्रात:10 बजे शहीद हवलदार मेजर पीरू सिंह की 73 वीं पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि कार्यक्रम पीरु सिंह सर्किल स्थित पीरुसिंह स्मारक पर आयोजित किया जावेगा। 
जानकारी देते हुए लायन्स क्लब झुंझुनूं के अध्यक्ष लॉयन भागीरथ प्रसाद जांगिड़ एवं सचिव लॉयन शिवकुमार जांगिड़ ने बताया कि 18 जुलाई रविवार प्रात:10 बजे कोरोना संक्रमण के मध्यनजर सरकारी आदेशों की पालना करते हुए सोशल डिस्टेंसिग के साथ आयोजित कार्यक्रम में शहीद हवलदार मेजर पीरू सिंह को दो मिनट का मौन रखकर पुष्पांजली अर्पित कर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी जावेगी।  
इस अवसर पर जिला कलेक्टर उमरदीन खान, जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड सहित अन्य अधिकारी, भूतपूर्व सैनिको एवं लायन्स क्लब झुंझुनूं के सदस्यों की गरिमामय उपस्थिती में आयोजित कार्यक्रम में अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी जावेगी।
 क्लब पीआरओ डा.डी.एन.तुलस्यान ने बताया कि पीरुसिंह स्मारक पर पिलानी के मूर्तिकार मातु राम वर्मा की टीम द्वारा ताम्र रंग सहित मरम्मत आदि का कार्य करवाया गया है। उन्होने बताया कि सम्मानित सैनिको के नाम की टूटी हुई पट्टिका को एवं खंडित अन्य टाईलों को पिछले वर्ष ही ठीक करवाया जा चुका था।
विदित है कि लायन्स क्लब द्वारा विगत 25 वर्षों से मेजर पीरू सिंह की 18 जुलाई पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन लगातार किया जाता रहा है।
कार्यक्रम प्रायोजक एवं संयोजक डा.उम्मेद सिंह शेखावत ने बताया कि अपनी प्रचंड वीरता, कर्तव्य के प्रति निष्ठा और प्रेरणादायी कार्य के लिए कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह भारत के युद्ध काल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किए गए जो कि हमारे लिए गौरव की बात है। अपनी विलक्षण वीरता के बदले शहीद हवलदार मेजर पीरू सिंह ने अपने अन्य साथियों के समक्ष अपनी एकाकी वीरता, दृढ़ता व मजबूती का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया जो कि काबिले तारीफ है। 
राजस्थान में झुंझुनू जिले के बेरी नामक छोटे से गांव में 20 मई 1918 में ठाकुर लाल सिंह के घर जन्मे पीरू सिंह चार भाइयों में सबसे छोटे थे तथा राजपूताना राइफल्स की छठी बटालियन की डी कंपनी में हवलदार मेजर थे। मई 1948 में छठी राजपूत बटालियन ने उरी और टिथवाल क्षेत्र में झेलम नदी के दक्षिण में पीरखण्डी और लेडी गली जैसी प्रमुख पहाड़ियों पर कब्जा करने में विशेष योगदान दिया। इन सभी कार्यवाहियों के दौरान पीरू सिंह ने अद्भुत नेतृत्व और साहस का परिचय दिया। जुलाई 1948 के दूसरे सप्ताह में जब दुश्मन का दबाव टिथवाल क्षेत्र में बढऩे लगा तो छठी बटालियन को उरी क्षेत्र से टिथवाल क्षेत्र में भेजा गया। टिथवाल क्षेत्र की सुरक्षा का मुख्य केन्द्र दक्षिण में 9 किलोमीटर पर रिछमार गली था जहां की सुरक्षा को निरंतर खतरा बढ़ता जा रहा था।
 अत: टिथवाल पहुंचते ही राजपूताना राइफल्स को दारा पहाड़ी पहाड़ी की बन्नेवाल दारारिज पर से दुश्मन को हटाने का आदेश दिया गया था। यह स्थान पूर्णत: सुरक्षित था और ऊंची-ऊंची चट्टानों के कारण यहां तक पहुंचना कठिन था। जगह तंग होने से काफी कम संख्या में जवानों को यह कार्य सौंपा गया। 18 जुलाई को छठी राइफल्स ने सुबह हमला किया जिसका नेतृत्व हवलदार मेजर पीरू सिंह कर रहे थे। पीरू सिंह की प्लाटून जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, उस पर दुश्मन की दोनों तरफ से लगातार गोलियां बरस रही थीं। अपनी प्लाटून के आधे से अधिक साथियों के मारे जाने पर भी पीरू सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। वे लगातार अपने साथियों को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करते रहे एवं स्वयं अपने प्राणों की परवाह न कर आगे बढ़ते रहे तथा अन्त में उस स्थान पर पहुंच गये जहां मशीन गन से गोले बरसाये जा रहे थे।
 उन्होंने अपनी स्टेनगन से दुश्मन के सभी सैनिकों को भून दिया जिससे दुश्मन के गोले बरसने बन्द हो गये। जब पीरूसिंह को यह अहसास हुआ कि उनके सभी साथी मारे गये तो वे अकेले ही आगे बढ़ चले। रक्त से लहूलुहान पीरू सिंह अपने हथगोलों से दुश्मन का सफाया कर रहे थे। इतने में दुश्मन की एक गोली आकर उनके माथे पर लगी और गिरते-गिरते भी उन्होंने दुश्मन की दो खंदक नष्ट कर दीं। अपनी जान पर खेलकर पीरू सिंह ने जिस अपूर्व वीरता एवं कर्तव्य परायणता का परिचय दिया वह भारतीय सेना के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है। देश हित में पीरू सिंह ने अपनी विलक्षण वीरता का प्रदर्शन करते हुए अपने अन्य साथियों के समक्ष अपनी वीरता, दृढ़ता व मजबूती का उदाहरण प्रस्तुत किया। इस कारनामे को विश्व के अब तक के सबसे साहसिक कारनामों में से एक माना जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने उस समय उनकी माता श्रीमती जडाव कंवर को लिखे पत्र में लिखा था कि देश कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह का मातृभूमि की सेवा में किए गए उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञ है।
मानवता की सेवा ही सर्वाेत्कृष्ट धर्म है - सचिव
चूरू, 17 जुलाई। अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर शनिवार को चूरू के नयाबास मौहल्ले में समाजसेवी कालीचरण खेमका ने अपने माता-पिता की समृति में 03 हॉस्पिटल बैड, 02 व्हील चेयर, महावीर गोटेवाला ने 08 ऑक्सीजन सलैण्डर उपलब्ध करवाये जो कि सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रमोद बंसल एवं भरतिया अस्पताल के पीएमओ डॉ. एफ.एच. गौरी ने पीपल यूनिटी संस्थान को सुपूर्द किये। 
इस अवसर पर सचिव ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस की महत्ता बताते हुये कहा कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्हाेंने कहा कि कोरोना काल में समाजसेवी संस्थाओं द्वारा जिस प्रकार से आगे आकर लोगों की मदद की गई उससे समाज को प्रेरणा लेनी चाहिये। 
सचिव प्रमोद बंसल ने कहा कि वर्तमान में महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इस अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर में प्राधिकरण द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया गया तथा कोविड-19 महामारी के दौरान प्राधिकरण की भूमिका को भी विस्तार से बताया । डॉ. एफ.एच. गौरी ने कहा कि कोविड-19 महामारी से हम सबको मिलकर लड़ना है और गाईडलाईन्स की पालना करनी चाहिये तथा जब भी अवसर मिले वैक्सीनेशन करवाये। 
ट्रस्ट के अध्यक्ष रघुनाथ खेमका ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से सिलैण्डर इत्यादि जिसको आवश्यकता हो, वह निःशुल्क प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा के अस्पातल को और भी जीवन रक्षा उपकरण उपलब्ध करवाये जायेंगे। इस अवसर पर समाज सेवी सुरेश शर्मा, राजेश भावसिंहका, मोहन भालेरीवाला, कल्पेश सर्राफ, नवनीत बगड़िया, अमित सर्राफ, पीयूष बजाज उपस्थित थे।
सिलिकोसिस पीड़ित के अन्तिम संस्कार हेतु 10 हजार रुपये 
चूरू, 17 जुलाई। जिले में न्यूमोकोनियोसिस (सिलिकोसिस) पीड़ित की मृत्यु होने पर न्यूमोकोनियासिस पीड़ित के अन्तिम संस्कार हेतु 10 हजार रूपये का भुगतान उक्त मृतक के विधिक उत्तराधिकारी/नामित को किया जायेगा।
अतिरिक्त जिला कलक्टर पीआर मीना ने बताया कि यह राशि न्यूमोकोनियोसिस पीड़ित की मृत्यु उपरान्त दी जाने वाली सहायता राशि के साथ ही देय होगी।
बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना
ब्लॉक टास्क फोर्स की बैठक आयोजन
चूरू, 17 जुलाई। जिला कलक्टर साँवर मल वर्मा के निर्देशन में बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना का क्रियान्वयन जिला स्तर पर किया जा रहा है तथा उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित ब्लॉक टास्क फोर्स की त्रैमासिक बैठक का आयोजन अनिवार्य है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर पीआर मीना ने समस्त उपखण्ड अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन तथा योजना का पर्यवेक्षण सुनिश्चित करते हुए बैठक कार्यवाही विवरण कलेक्ट्रेट कार्यालय, चूरू एवं महिला अधिकारिता विभाग, चूरू को प्रेषित करना सुनिश्चित करें।

जिला कलक्टर ने त्रिस्तरीय जन-अनुशासन को लेकर जारी किए दिशा-निर्देश 
चूरू, 17 जुलाई। जिला कलक्टर सांवर मल वर्मा ने राज्य सरकार के निर्देशानुसार कोविड प्रबंधन के लिए त्रि स्तरीय जन अनुशासन को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर संबंधित अधिकारियों को पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। 
आदेश में कहा गया है कि भीड़-भाड़ वाले समस्त स्थान जैसे दुकानें, मॉल्स, बाजार, रेस्तरां, मंडियां, बस स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों, सार्वजनिक पार्काे और जिम, बैंक्वेट हॉल/विवाह हॉल, खेल परिसर इत्यादि स्थानों पर कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन किया जाना आवश्यक है। यदि किसी भी प्रतिष्ठान/परिसर/बाजार आदि में कोविड उपयुक्त व्यवहार के मानदंडों का पालन नहीं किया जाता है तो प्रशासन द्वारा उसके विरुद्ध उपयुक्त कार्यवाही की जाएगी। 
राज्य में सभी धार्मिक आयोजनों पर वर्तमान में प्रतिबंध है। इसी क्रम में निर्देश दिए गए हैं कि कावड़ यात्राओं में भीड़-भाड़ की संभावना को देखते हुए इस प्रकार की समस्त धार्मिक यात्रओं एवं जुलूस इत्यादि की जिले में अनुमति नहीं होगी। 21 जुलाई को ईद-उल-जुहा का त्यौहार मनाया जायेगा। अत्यधिक भीड़-भाड़ की संभावना को देखते हुए किसी भी सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थान पर एकत्रित होकर इबादत करने की अनुमति नहीं होगी।  जनपद मथुरा के गोवर्धन क्षेत्र में आषाढ़ माह की एकादशी से पूर्णिमा तक आयोजित होेने वाले मेले में चूरू जिले से भी कई श्रद्धालु इस सम्मिलित होने जाते हैं। इस मेले को निरस्त कर दिया गया है। इंसीडेन्ट कमाण्डर्स द्वारा इस सम्बन्ध में प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए ताकि चूरू जिले से इस मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को सूचना प्राप्त हो सके।
जैन धर्म व अन्य कई धर्मावलम्बियों द्वारा जिले के अनेक स्थानों पर चातुर्मास पर्व का आयोजन किया जायेगा। यह आयोजन चार महीने तक चलता है। इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए विश्वभर से श्रद्धालु आते हैं। वर्तमान में कोरोना की परिस्थितियों के मद्देनजर अत्यधिक भीड़-भाड़ की संभावना को देखते हुए किसी भी सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थान पर भीड़-भाड़ एवं आयोजन करने की अनुमति नहीं होगी।  अन्य सभी धर्मावलम्बियों के भी समस्त धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध रहेगा।
जिला कलक्टर ने आमजन से यह अपील की है कि पर्याप्त सावधानी एवं कोरोना प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित करते हुए जहां तक संभव हो घर पर रहकर ही परिवारजन के साथ पूजा-अर्चना, इबादत करें।
जिला कलक्टर ने बताया कि  स्विमिंग पूल्स को खोलने की अनुमति नहीं होगी। सार्वजनिक उद्यान प्रातः 5 बजे से शाम 4 बजे तक अनुमत होगा परन्तु जिन व्यक्तियों द्वारा वैक्सीन की कम-से-कम एक खुराक, उन्हें सायं  4  से 8 बजे तक की भी अनुमति होगी।
समस्त इंसीडेन्ट कमाण्डर्स, पुलिस अधिकारीगण द्वारा नो मास्क नो मूवमेंट की पालना करवाई जाएगी। इंसीडेन्ट कमाण्डर्स द्वारा संयुक्त प्रवर्तन दल/वार्ड कमेटी/ग्राम पंचायत स्तरीय कोर ग्रुप द्वारा समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रें में क्वारंटीन नियमों के उल्लंघन एवं कोविड उपयुक्त व्यवहार की निगरानी सुनिश्चित करवाई जायेगी। वार्ड/गांव/शहर में त्रिस्तरीय जन अनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन के दौरान संभावित भीड़-भाड़ के क्षेत्रें में एन.सी.सी/एन.एस.एस आदि का सहयोग लिया जाकर इंसीडेन्ट कमाण्डर्स, पुलिस एवं स्थानीय निकाय द्वारा माइक आदि के माध्यम से मास्क पहनने एवं अन्य कोविड उपयुक्त व्यवहार की पालना हेतु जन जागरूकता किया जायेगा। समस्त धार्मिक, सामाजिक, गैर सरकारी संस्थाओं और संगठनों से अपने स्तर पर कोविड उपयुक्त व्यवहार की पालना हेतु निरन्तर अपील करने हेतु सहयोग लिया जायेगा। दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर आईपीसी की धारा 188 के कानूनी प्रावधानों के अन्तर्गत व अन्य कानूनी प्रावधान जो लागू हों, के अलावा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 एवं राजस्थान महामारी अधिनियम, 2020 के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।