प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा का झुंझुनूं दौराघर-घर औषधी योजना की प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीति बनाई



बीहड़ क्षेत्र का भी किया निरीक्षण

 

झुंझुनूं, 4 जुलाई। झुंझुनूं में रविवार को राज्य के वन विभाग फोर्स की मुखिया यानी प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीमती श्रुति शर्मा ने जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों का दौरा किया। ‘घर-घर औषधी’ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए आई श्रुति शर्मा ने झुंझुनूं के बगड़ रोड़ स्थित बीहड़ संरक्षित क्षेत्र का भी दौरा किया। यहां उन्होंने उपलब्ध पानी की सुविधा का, वनस्पति, नर्सरी और पौधारोपण कार्य का निरीक्षण किया। इससे पहले उन्होंने मंडावा में हवेलियों में उगे पीपल के पेड़ों को संरक्षित कर दूसरी जगह लगाने के वनविभाग के कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि पीपल का पेड़ अद्भुत औषधियों गुणों वाला है और मन को शांति प्रदान करने वाला है, यही वजह है कि भारतीय परंपरा में इसे काटना वर्जित माना गया है। ऐसे में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों का पीपल को बचाने का यह अनूठा प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने उपवन संरक्षक आर.के. हुड्डा, सहायक वन संरक्षक गुलजारी लाल और क्षेत्रीय वन अधिकारी रणजीत खीचड़ की पीठ थपथपाई। वहीं दौरे में जयपुर संभाग के मुख्य वन संरक्षक के.सी. मीणा भी साथ रहे।

ताल छापर की तर्ज पर विकसित होगा बीहड़, खेतड़ी में होगी लियोपर्ड सफारी:

सर्किट हाऊस में हुई प्रेस कांफ्रेस में श्रुति शर्मा ने बताया कि झुंझुनूं के बीहड़ संरक्षित क्षेत्र को चूरू के तालछापर कृष्ण मृग अभ्यारण्य की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बना ली गई है। उन्होंने बताया कि यहां पर्याप्त मात्रा में जल स्त्रोत भी हैं। योजना के मुताबिक ताल छापर से यहां चिंकारा व काले हिरण लाकर बीहड़ क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। डीएफओ आर.के. हुड्डा ने बताया कि बीहड़ में कुंभाराम आर्य लिफ्ट नहर योजना से पानी का कनेक्शन भी करवा लिया गया है। ऐसे में पानी की कमी नहीं है। शहर के गंदे पानी को भी उपचारित करके पौधारोपण के कार्य में उपयोग में लिया जा रहा है।  

श्रुति शर्मा ने बताया कि बीहड़ के विकसित होने पर ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। सीकर के स्मृति वन और जयपुर के कुलिश वन के जैसे यहां भी टूरिस्ट स्पॉट विकसित करने की योजना बना ली गई है। पत्रकारों द्वारा वन संरक्षण के बारे में उठाए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वनों को अति चराई से बचाना होगा, पानी की उपलब्धता करनी होगी। बीहड़ क्षेत्र में तारबंदी होने के बाद हरियाली और पेड़-पौधों की संख्या काफी बढ़ी है। विभाग की कोशिश है कि जिले में जहां भी खाली जगह या वन क्षेत्र उपलब्ध है उसे संरक्षित कर विकसित किया जाए।
वहीं खेतड़ी में झालाना लियोपर्ड सफारी की तरह ‘खेतड़ी लियोपर्ड सफारी’शुरु की जा सकती है। बकौल श्रुति शर्मा बीहड़ कंजर्वेशन और खेतड़ी में लियोपर्ड सफारी बनने से एक प्रकार का एक टूरिज्म सर्किट बनेगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं वन उत्पादों से भी लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने घर-घर औषधी योजना को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की महत्वकांक्षी योजना बताते हुए कहा कि इससे लोगों की इम्यूनिटी बढ़ेगी। घर-घऱ औषधी के साथ घर-घर फोरेस्ट फूड के रूप में भी आगे इस योजना का विस्तार हो सकता है। फोग, कैर जैसे अनेक वन उत्पाद हैं जो लोग दैनिक जीवन में काम में लेते रहे हैं, इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

 
जल्द होगी वनरक्षक और वनपाल की भर्ती:

वन विभाग की टीम पर होने वाले हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि वन विभाग में वनरक्षक व वनपाल की भर्ती जल्द होने वाली है। इससे स्टाफ की कमी दूर होगी और विभाग की कार्यदक्षता बढ़ेगी और वनों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। वहीं बीहड़ क्षेत्र में गंदे पानी से पेड़ों के सूखने के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया कि विभाग द्वारा वाटरलॉकिंग करने वाले पेड़ों की प्रजातियां बीहड़ क्षेत्र में लगाई जा रही है। इसके अलावा पानी को साफ करने के प्लांट भी कार्य कर रहे हैं। डीएफओ आर.के. हुड्डा ने बताया कि बीहड़ क्षेत्र में 20 तलाई, 4 गजलर, 25 वाटरहॉल, 6 टांके भी बनाए गए है, जिससे वन्यजीवों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है और वनस्पति भी पनप रही है।  

जिले में 16.84 लाख पौधे होंगे वितरित

डीएफओ आर.के. हुड्डा ने बताया कि घर-घर औषधी योजना के तहत 3.82 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा आदि के 16.84 लाख पौधे वितरित किए जाएंगे। इनके पौधे तैयार कर लिए गए हैं। तुलसी के पौधे की नर्सरी का प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फोरेस्ट श्रीमती श्रुति शर्मा और जयपुर संभाग के मुख्य वन संरक्षक के.सी. मीणा ने निरीक्षण भी किया और संतोष जाहिर किया। गौरतलब है कि तुलसी ह्रदय रोग में, जुखाम मे, मानसिक तनाव को मिटाने में, वहीं गिलोय तेज बुखार मे, डेंगू-मलेरिया, डायबिटीज में, जबकि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में, कैंसर से बचाव में और कालमेघ सांस संबंधी रोगों में, लीवर संबंधी रोगों में, कैंसर के ईलाज में विशेष उपयोगी है।