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झुंझुनू में दलित प्रिंसिपल का प्रताड़ित मामला


प्रिंसिपल ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु भाजपा सरकार की कथनी और करनी में आया नजर अन्तर

झुंझुनू l जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय इस्लामपुर के दलित प्रिंसिपल रामकृष्ण महरिया को प्रताड़ित करने का मामला तुल पकड़ता जा रहा हैl एक दलित प्रिंसिपल को कुछ शिक्षा विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने फुटबॉल बना रखा है इन कामचोर भ्रष्ट कार्य शैली के  अधिकारियों से तंग आकर  आखिरकार दलित प्रधानाचार्य ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है महरिया के मुताबिक संस्था में कार्यरत लेवल 2 की अध्यापिका मुकेश वर्मा की लापरवाही के कारण उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रस्ताव सक्षम अधिकारियों को भेजें जिस कारण वह परेशान करती है ऐसा नहीं है कि भाजपा की मोदी भजनलाल सरकार के नुमाइंदों को मालूम नहीं है लेकिन इस मामले को लेकर गूंगे बहरे हो गए हैं ऐसा लगता है कि भाजपा की कथनी करनी में फर्क नजर आ रहा है दलितों के उत्थान एवं सुरक्षा की डीग हांकने वाली सरकार इस मामले में संज्ञान क्यों नहीं ले रही जबकि जिला कलेक्टर ने  भी जांच करवा ली है उसमें भी प्रिंसिपल निर्दोष पाए गए हैं पुलिस अधीक्षक से मिलकर लिखित में मौखिक पूरे मामले के बारे में प्रिंसिपल विस्तार से बता चुके हैं तथा बगड़ थाने में मुकदमा भी दर्ज करवा चुके हैं लेकिन पुलिस की कछुआ चाल की जांच का फायदा शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी उठा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस मामले की जांच करने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर से प्रशिक्षण के संयुक्त निदेशक ब्रह्मानंद महर्षि के निर्देशन में 30 मई को डायट परिसर में बयान लिए लेकिन जांच दल पक्षपात पर उतारू हो गया है यानी बिल्ली करेगी दूध की रखवाली कहावत चरितार्थ हो रही है उल्टा दलित प्रिंसिपल को ही प्रताड़ित कर रहे हैं जांच  दल के प्रताड़ना के कारण दलित प्रिंसिपल को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा प्रिंसिपल ने बताया कि जांच  दल की मांग पर स्कूल से सर्विस बुक लेने गए भीषण गर्मी के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई चिकित्सकों ने उनको अस्पताल में भर्ती कर लिया 30 मई को दोपहर 1:00 बजे तक लोकसभा चुनाव की मतगणना के प्रशिक्षण में शामिल हुए इसके बाद डायट परिसर में जांच दल के सामने पेश हुए जो करीब देर रात 12:00 बजे तक रोक के रखा फिर सुबह 10:00 बजे जांच  दल के समक्ष पेश हुए इस दौरान स्कूल में सर्विस बुक लेकर आए संस्था की जिम्मेदारी चुनाव की मतगणना की प्रशिक्षण की ड्यूटी जांच दल के प्रताड़ना का चाबुक ऐसा चला कि फुटबॉल बनकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा क्या प्रदेश की भाजपा सरकार को जिला कलेक्टर की जांच पर भरोसा नहीं है एक दलित प्रिंसिपल को इतना परताड़ना झेलनी पड़ रही है जो राष्ट्रपति से अपनी इच्छा मृत्यु मांग रहा है प्रदेश के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों ने भाजपा कि मोदी व भजन लाल सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो अधिकारी कर्मचारी दोषी हैं उनको नौकरी से बर्खास्त किया जाए और जो प्रिंसिपल ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया है इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों को जेल भेजा जाए वरना मजबूर होकर सभी दलितों को आंदोलन आत्मक कदम उठाना पड़ेगा इसलिए सरकार शीघ्र संज्ञान ले l