विद्यालय समन्वयक मनीष अग्रवाल, अकादमिक निदेशक रॉय सी पॉल व प्राचार्य विजय मसीह़ ने पुष्प गुच्छ भेंट कर मुख्य अतिथि, रोहिताश्व डुडी, प्राचार्य गुढ़ा इंटरनेशनल स्कूल, सुरेन्द्र डुडी, प्राचार्य, राजकीय उ.मा विद्यालय का अभिनंदन किया। शिक्षण में आध्यात्मिकता, सीखने के उद्देश्य, परिणाम और शिक्षण शिक्षाशास्त्र व कक्षा प्रबंधन जैसे अहम विषयों पर तीन दिन तक शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद विद्यालय स्टाफ में नई ऊर्जा का संचार करना व नई शिक्षा नीति के अनुरूप बच्चों में कुछ नया सीखने की चाह पैदा करना, नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य रहा। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षा संबंधी समस्याओं में सुधार लाना है। इस प्रशिक्षण में अध्यापकों को सिखाया गया कि वे बच्चों को बिना डर व बिना मानसिक तनाव के स्वयं द्वारा किए गए कार्यों को चारों ओर के परिवेश से जोड़कर अधिक से अधिक सीखने एवं सर्फेस लर्निंग को डीप लर्निंग में कैसे बदलें। उन्होंने बताया कि डिप लर्निंग में विचारों का विस्तार करना, पैटर्न का पता लगाना, ज्ञान और कौशल को नए संदर्भों में या रचनात्मक तरीकों से लागू करना और तर्काें और सबूतों की आलोचना करना शामिल है। सेमिनार में मुख्य वक्ता ने सिखाया कि शिक्षकों का मधुर बर्ताव छात्रों के प्रति सुखद व सकारात्मक व्यवहार डीप लर्निंग और रोचक शिक्षण को बढ़ाने में सहायक होता है।
अपने उद्बोधन में अर्जुनदास जी महाराज ने जीवन में काम आने वाली बहुत ही महत्त्वपूर्ण बातें बताई। बच्चों में शिक्षा बहुत है संस्कार नहीं है। जैसे हम स्वयं का सम्मान चाहते है वैसे ही दूसरों को सम्मान देना सीखें। आप कर्ता मत बने, सहज भाव से कर्म करें। आत्मसंतुष्टि उसे ही मिलेगी जो अपना कार्य ईमानदारी से करेगा। उन्होंने कहा बच्चे उदंड होते हैं उनमें चंचलता होती है आप उन्हें अच्छे संस्कार दीजिए। अच्छा व्यक्ति अपना प्रभाव सब पर छोड़ता है। बच्चों को प्रोत्साहित करके उन्हें सही रास्ता दिखाना एक शिक्षक का कर्तव्य है। ईमानदारी से कार्य करने से ही आनन्द मिलता है। प्रेम से सबका दिल जीता जा सकता है। हमारी मनोकामना ही दुखों का कारण हैं। ज्ञान का दीपक जलाकर अज्ञानता को दूर किया जा सकता है। अहंकार व आलस्य मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं इनका त्याग कर के ही जीवन को सहज बनाया जा सकता है। क्रोध पर नियंत्रण रखें जैसे हम बच्चे को अबोध जानकर माफ कर देते हैं उसी प्रकार सामने वाले क्रोधी को माफ कर दें। एक शिक्षक को तनाव मुक्त रहकर अपने काम से प्रेम करना चाहिए। बच्चों को समझने का प्रयास करते हुए उन्हें अध्यात्म से जोड़े। प्रकृति का अनुसरण करें और संयम से जीवनयापन करें।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में शिक्षाविद् रोहिताश्व डुडी ने शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने हेतु अनेक तरीके बताए। एक अच्छा शिक्षक वह है जो विद्यार्थियों में सीखने की इच्छा जगा सके। एक शिक्षक के पास आवश्यक कौशल होने चाहिए जो अपनी कक्षा को व्यस्त रख सके और ज्ञान को प्रभावी ढंग से वितरित कर सके। शिक्षक बच्चे की आंतरिक क्षमता को पहचाने और उसे वही करने के लिए प्रेरित करें। बच्चों के सवालों का जवाब देना जरूरी होता है हमें उनकी समस्याओं को समझकर उनका समाधान करना चाहिए। किसी भी तरह पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर बच्चों के आत्मविश्वास को कम न करें। देश के भविष्य का निर्माता एक शिक्षक ही है। बच्चों को जीवन जीने की सही कला सिखा सकें यही एक शिक्षक का काम है।
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में सुरेन्द्र डुडी, प्राचार्य, राजकीय उ. मा. विद्यालय ने शिक्षण उद्देश्य व कक्षा प्रबंधन संबंधित विस्तृत जानकारी विद्यालय स्टाफ को दी। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को बारीकियों से समझाया। इस ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को अपने छात्रों में समग्र विकास को बढ़ावा देने में शामिल जटिलताओं की गहरी समझ से युक्त करना है। सभी बच्चे अलग-अलग स्वभाव के होते हैं उनकी सीखने की गति कम हो सकती है लेकिन वे सीखते अवश्य हैं। बच्चों को उनका मूड, पारिवारिक वातावरण व माहौल देखकर पढ़ाया जाना चाहिए। अध्यापक अपने कार्य के प्रति वफादार बनेे। बच्चों को समय-समय पर प्रोत्साहित करके उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाना चाहिए।
विद्यालय समन्वयक मनीष अग्रवाल ने कहा कि नवीनतम अंतर्दृष्टि और रणनीतियों के साथ शिक्षकों को सशक्त बनाकर, प्रबंधन यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षक अपने छात्रों को शैक्षणिक सफलता और व्यक्तिगत विकास की यात्रा पर मार्गदर्शन करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं। यह सक्रिय दृष्टिकोण न केवल शिक्षण स्टाफ को लाभान्वित करता है, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उनकी देखरेख में प्रत्येक छात्र के समग्र कल्याण और विकास में योगदान देता है।
दूसरे दिन कार्यक्रम में प्राचार्य विजय मसीह ने शिक्षण उद्देश्य व कक्षा प्रबंधन संबंधित विस्तृत जानकारी विद्यालय स्टाफ को दी। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को बारीकियों से समझाया। इन तीन दिनों में विद्यालय स्टाफ ने नई-नई तकनीकों व बच्चों से जुड़ी समस्याओं व उनके समाधान की जानकारी ली। प्राचार्य महोदय के मार्गदर्शन में सबने जाना कि हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है। हमें सिर्फ उसे तराशने की कोशिश करनी चाहिए। ऐनी मसीह, प्री-प्राइमरी प्रभारी ने निर्देशन और परामर्श विषय पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और अपनी समस्याओं का समाधान ढुंढने हेतु अध्यापक व अभिभावक से अपने मन की बातें साझा करने हेतु प्रेरित किया ताकि वे बच्चे स्वयं को सुरक्षित समझे और खुलकर अपने मन की बात कह सकें।
तृतीय दिवस अनिल शर्मा के दल ने प्रश्न पत्र डिजाइन व मुल्यांकन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। शिक्षा के क्षेत्र में जो नई शिक्षा नीति से जो नवीनीकरण आया है उसे मुल्यांकन में भी शामिल करना है। जितेन्द्र दाधीच के दल ने किशोरावस्था में शिक्षा, विवेक शर्मा के दल ने जीवन कौशल, पुनम के दल ने नैतिक शिक्षा, कनिका ने शिक्षा में सूचना और संप्रेषण तकनीक को शिक्षा में कितनी उपयोगी है के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
अकादमिक निदेशक रॉय सी पॉल ने कार्यक्रम के समापन पर कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल एक शिक्षक के विकास के लिए बल्कि छात्र के हित के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब तक हम बच्चों के मन में जिज्ञासा पैदा नहीं करेंगे तब तक वे सीख नहीं पायेंगे। एक अच्छा शिक्षक बच्चों को प्रोत्साहित करता है। समय की माँग को देखते हुए ऐसे आयोजन जरूरी है ताकि नयी-नयी जानकारी हासिल की जा सके। उन्होंने अध्यापकों को शपथ दिलाई कि नकारात्मकता का त्याग करके बच्चों के सर्वागिण विकास के लिए मिल-जुलकर काम करें। जो नई-नई जानकारियाँ ली हैं उनसे बच्चों को लाभान्वित करें।
विद्यालय समन्वयक मनीष अग्रवाल ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रद्धेय श्री अर्जुन दास जी महाराज को जीवन उपयोगी बातें बताने, रोहिताश्व डुडी व सुरेन्द्र डुडी की शिक्षण तकनीकियों और मनोवैज्ञानिक तरीकों के बारे में जानकारी के लिए आभार व्यक्त किया और विद्यालय परिवार की ओर से स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
मुम्बई प्रवासी ट्रस्टी शशिकांत मोदी, ऋषि कुमार बरासिया व गिलूराम मोदी ने शुभकामनाएं प्रेषित की।
ग्रीष्मकालीन अभिरुचि कला कौशल प्रशिक्षण शिविर संपन्न
उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया सम्मानित
झुंझुनू, 22 जून, राजस्थान राज्य भारत स्काउट गाइड जिला मुख्यालय झुंझुनू के तत्वावधान में आयोजित ग्रीष्मकालीन कला कौशल एवं लघु उद्योग प्रशिक्षण शिविर का समापन समारोह अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्रीमती सुनीता यादव के मुख्य आतिथ्य में समारोहपूर्वक आयोजित किया गया। सी.ओ. स्काउट महेश कालावत ने बताया कि जिला मुख्यालय झुंझुनू पर अभिरुचि शिविर 17 मई को प्रारंभ हुआ था। जिसमें छात्र-छात्राओं को नृत्य, मेहंदी, पेंटिंग पॉट वर्क, वाद्य यंत्र, गीत संगीत, स्पोकन इंग्लिश, कंप्यूटर संचालन, साज सज्जा, आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, घरेलू उपचार जैसी विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण दक्ष प्रशिक्षको द्वारा प्रदान किया गया।
शिविर में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम यथा जैव विविधता दिवस, तंबाकू निषेध दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं को विभिन्न जिला स्तरीय निबंध, भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिता में सहभागिता करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
शिविर के दौरान नवलगढ़ साइंस पार्क का अवलोकन करवाया गया, जहां पर शिविरार्थियों द्वारा विज्ञान के विभिन्न आविष्कारों का बारीकी से निरीक्षण किया गया। समापन समारोह के अवसर पर शिविर में उत्कृष्ट कार्य करने वाले संभागियो को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर सी. ओ. गाइड सुभिता कुमारी महला ने कहा कि स्काउट गाइड के माध्यम से बालक बालिकाओं का सर्वांगीण विकास किया जाता है। सी. ओ. कालावत ने बताया कि अभिरुचि शिविर के माध्यम से छात्र-छात्राओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाता है जो की उनके भविष्य जीवन हेतु कारगर होगा । इस अवसर पर शिविरार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य एवम् शानदार प्रस्तुतियां दी गई।समापन समारोह के अवसर पर उल्लेखनीय एवम् उत्कृष्ट कार्य करने पर अलसीसर सचिव रामचंद्र मीणा, संयुक्त सचिव नवलगढ़ सुनीता बेनीवाल, अलसीसर कोषाध्यक्ष राजेश कुमार हरिपुरा,गाइड कैप्टन विजेता नेहरा, फ्लॉक लीडर पिंकी धायल,जसवंत सिंह मीणा, समंदर लाल, सुनील कुमार,मोहम्मद जाबिर, दिनेश कुमार,अमरचंद बियान सहित उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्काउट्स, गाइड्स को सम्मानित किया गया।